खरसावां: केन्द्रीय रेशम बोर्ड भारत सरकार के तहत बुनियादी बीज प्रगुणन एवं प्रशिक्षण केन्द्र खरसावां द्वारा केपेसिटी ट्रेनिंग प्रोग्राम के अंतर्गत “क्षमता निर्माण” पर आयोजित पांच दिवसीय प्रशिक्षण शिविर शुक्रवार को संपन्न हो गई. इस शिविर में खरसावां- कुचाई के 22 कृषकों को प्रशिक्षित कर आत्मनिर्भर बनाने का प्रयास किया गया.
प्रशिक्षण कार्यक्रम में प्रशिक्षक की भूमिका निभाते हुए बुनियादी बीज प्रगुणन व प्रशिक्षण केंद्र, खरसावां के प्रभारी वैज्ञानिक डॉ. तिरूपम रेड्डी ने कहा कि तसर उत्पादन कर कृषक अपने उत्पादन की गुणवत्ता एवं गुणात्मकता में और अधिक वृद्वि करे. उन्होने कहा कि रेशम उत्पादन एक कृर्षि आधारित उधोग है. इसमे कच्चे रेशम का उत्पादन करने के लिए कुकुन का उत्पादन करने के लिए मेजबान पौधो की खेती और रेशम के कीड़ों को पालन शामिल है. सेरीकल्चर में रेशमकीट जैसे कार्य शामिल है.
वहीं वैज्ञानिक डॉ. हनुमंत गदड ने कहा कि प्रसंस्करण और बुनाई के लिए फीड खेती, रेशम कोकून स्पिन करना, कोकून को रीलिंग करना और रेशम के फिलामेंट को खोलना. रेशम अपने सर्वोत्तम गुणो जैसे विलासिता, लालित्य, वर्ग और आराम के लिए इसे कपड़ो की रानी कहा जाता है.
इस दौरान प्रशिक्षकों ने रेशम के कीड़ो के पालन, तसर के बीज का उत्पादन, उन्नत बीज, उन्नत कीट, उत्कृष्ट पौधे की किस्म, प्रभावी रोग प्रबंधन से तसर रेशम के उत्पादन को बढ़ाने पर जोर दिया. इस दौरान तसर के उत्पादक राज्य में तसर उत्पादन के लक्ष्य में निरंतर वृद्धि, कृषकों लाभार्थियों में क्षमता निर्माण विकास पर चर्चा की गई.
वहीं क्षमता निर्माण प्रशिक्षण प्राप्त करने वाले कृषकों को प्रमाण पत्र देकर सम्मानित किया गया. वहीं तसर किट भी दिया गया. वही प्रशिक्षण शिविर में प्रशिक्षक की भूमिका बुनियादी बीज प्रगुणन व प्रशिक्षण केंद्र, खरसावां के प्रभारी वैज्ञानिक डॉ. तिरूपम रेड्डी, वैज्ञानिक डॉ. हनुमंत गदड, खरसावां पीपीओ अखिलेश्वर प्रसाद एवं चाईबासा पीपीओ केके यादव ने निभाई.
Reporter for Industrial Area Adityapur