DESK झारखंड में नगर निकायों का कार्यकाल अप्रैल महीने में समाप्त हो रहा है और इसके बाद नगर निकायों का संचालन सीधे पदाधिकारियों के माध्यम से होगा. इसी बीच निकाय चुनाव पर सरकार ने बड़ा फैसला लिया है.
सरकार ने तय कर लिया है कि निकाय चुनाव के लिए सरकार ट्रिपल टेस्ट कराएगी. इससे पिछड़ा वर्ग को आरक्षण का लाभ देना संभव होगा.
इसके पूर्व राज्य सरकार ने ट्रिपल टेस्ट कराए बगैर चुनाव कराने का निर्णय लिया था. इस पर कैबिनेट की मुहर भी लग गई थी. हालांकि आम लोगों तक मामला पहुंचने के बाद विरोध को देखते हुए राज्य सरकार ने अपना निर्णय बदल लिया.
बता दें कि कुछ दिनों पहले झारखंड में पिछड़े वर्ग की आरक्षित सीटों को ओपेन सीट मानते हुए निकाय चुनाव कराने की घोषणा कर दी गई थी. कैबिनेट की ओर से इसपर सहमति भी बन गई थी. इस निर्णय पर कांग्रेस और फिर झामुमो के कई नेताओं ने विरोध दर्ज कराया था. अपनी ही पार्टी में विरोध को देखते हुए सरकार ने फैसले को बदलते हुए तय किया कि पिछड़े वर्ग को आरक्षण का लाभ दिया जाएगा.
सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के अनुसार, इस स्थिति के लिए ट्रिपल टेस्ट कराने की दरकार होगी. नगर विकास विभाग ने इसकी तैयारियां भी शुरू कर दी है. जानकारी के अनुसार इस पर मुख्यमंत्री का निर्देश भी मिल गया है. अब यह बात महत्वपूर्ण है ट्रिपल टेस्ट कराने में कितना वक्त लगता है.
नवंबर तक का लग सकता है समय
सूत्रों के अनुसार, इसमें नवंबर तक का समय लग जाएगा. ऐसी स्थिति में चुनाव कराने में संकटों का सामना करना पड़ सकता है. कारण यह है कि राज्य सरकार को विधानसभा चुनाव की तैयारियां भी करनी है जो कि जनवरी माह से शुरू हो जाएगी.
निकायों में अफसरों के माध्यम से सरकार का होगा हस्तक्षेप
झारखंड के निकायों में आधे से अधिक सीटों पर भाजपा का कब्जा है. इस स्थिति को बदलने के लिए राज्य सरकार जुट गई है. राजनीतिक सूत्रों की मानें तो निकायों का संचालन अफसरों के माध्यम से होने पर सत्ताधारी गठबंधन के नेताओं को फायदा मिलेगा और आसानी से इनके कार्यकर्ताओं का काम हो सकेगा. ऐसे में चुनाव का टलना सरकार के लिए फायदेमंद रहेगा. नगर विकास सचिव विनय कुमार चौबे ने इस मामले पर कहा कि नगर निकाय के चुनाव के पूर्व ट्रिपल टेस्ट पूरा करने का निर्देश मुख्यमंत्री से मिल चुका है. इस निर्देश के आलोक में ट्रिपल टेस्ट की तैयारियां शुरू कर दी गई हैं.
Reporter for Industrial Area Adityapur