गया/ Pradeep Ranjan विश्व प्रसिद्ध पितृपक्ष मेला 2023 महासंगम अब लगभग समाप्ति की ओर है. फिर भी लाखों की संख्या में तीर्थ यात्री मौजूद है और विभिन्न पिंडवेदियों पर पिंडदान कर्मकांड कर रहे हैं. फल्गु नदी के पूर्वी तट पर स्थित सीताकुंड पिंडवेदी पर बालू से पिंड देने का प्रावधान है, जहां हजारों की संख्या में श्रद्धालु पहुंचे और पिंडदान कर्मकांड किया.
इस दौरान यहां कई निजी संस्थाओं के द्वारा शिविर के माध्यम से यात्रियों को चाय, बिस्किट, नींबू पानी, दवा व फल आदि का वितरण किया जा रहा है.
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वही सीताकुंड वेदी पर मौजूद यात्रियों को शिविर के माध्यम से सेवा दे रहे जीडी पब्लिक स्कूल के निदेशक धर्म शाही ने बताया कि सीताकुंड पिंडवेदी पर माता सीता ने स्वयं पिंडदान किया था. जब भगवान श्री राम और लक्ष्मण पिंड सामग्री लेने चले गए, तो इसी बीच राजा दशरथ प्रकट हुए और उन्होंने माता सीता से पिंड देने की मांग की. जिसके बाद माता सीता ने पिंड सामग्री न होने पर बालू का पिंड बनाकर पिंडदान किया, तब से यहां बालू का पिंड देने का प्रावधान है. ऐसा माना जाता है कि जिसके परिवार में कोई पुरुष नहीं है और उसके घर की बड़ी महिला यहां पिंडदान करती है, तो पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है. दूर-दराज से आए श्रद्धालु सीताकुंड वेदी पर बालू का पिंडदान कर पूर्वजों की आत्मा के लिए पिंडदान कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि इस पिंडवेदी पर यात्रियों की भीड़ को देखते हुए स्कूल की तरफ से शिविर लगाया गया है, जिसके माध्यम से तीर्थ यात्रियों को शीतल पेयजल, नींबू पानी, सादा पानी, चाय, बिस्किट, फल व दवा आदि का वितरण किया जा रहा है. अक्सर यह देखा जाता है कि भूखे पेट काफी देर तक पिंडदान करने से यात्रियों की तबीयत खराब हो जाती है, ऐसे में उन्हें शिविर के माध्यम से
दवा का वितरण किया जा रहा है. इसके बाद भी अगर किसी तीर्थ यात्री की तबीयत ज्यादा खराब होती है तो उसे प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र हमलोगों के द्वारा भेज दिया जाता है. हमारे स्कूल के बच्चे भी सेवा भाव से तीर्थ यात्रियों की सेवा में लगे हुए हैं. छुट्टी के दिन स्कूली बच्चे यहां आकर तीर्थ यात्रियों की सेवा करते हैं.
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धर्म शाही (स्थानीय निवासी)
Reporter for Industrial Area Adityapur