चांडिल: चुआड़ विद्रोह के महानायक अमर शहीद रघुनाथ महतो को लेकर उपजे विवाद के बीच चांडिल एससीओ रंजीत लोहरा की चिट्ठी ने हवा दे दी है. हालांकि मामला बिगड़ता देख एसडीओ ने अपनी सफाई देते हुए माफी मांगी है.
सुनें एसडीओ रंजीत लोहरा का स्पष्टीकरण
बाईट
रंजीत लोहरा (एसडीओ- चांडिल)
क्या था आदेश में और क्यों एसडीओ ने मांगी माफी
दरअसल 21 मार्च को नीमडीह प्रखंड के बुट पड़ासा घुटियाडीह में सुभाष सिंह एवं ग्रामीणों द्वारा संयुक्त रूप से हस्ताक्षरीत एक आवेदन पत्र एसडीएम चांडिल समर्पित किया गया था, जिसमें नीमडीह अंतर्गत ग्राम बुट पड़ासा घुटियाडीह में वीर शहीद रघुनाथ महतो की जयन्ती 21 मार्च 2023 के आयोजन पर यह कहते हुए रोक लगाने की मांग की गई थी कि जिस रघुनाथ महतो की जयंती बुट पड़ासा घुटियाडीह में मनायी जा रही है वे फर्जी हैं. जिसे एसडीएम ने भी फर्जी मानते हुए अपने आदेश में वीर शहीद रघुनाथ महतो को फर्जी करार देते हुए उक्त कार्यक्रम को लेकर प्रतिबंध लगाने के आदेश जारी कर दिए. पत्र में निर्देश दिया गया था कि आवेदन पत्र में वर्णित विषय पर कार्रवाई करना सुनिश्चित किया जाए.
देखें एसडीओ के आदेश की प्रति
भूमिज समुदाय कर रहे विरोध, एसडीएम की चिट्ठी से मिला बल
आपको बता दें कि भूमिज समुदाय शुरू से ही चुआड़ विद्रोह के नायक के रूप में रघुनाथ महतो की भूमिका को संदिग्ध बताते हुए इसे कुड़मी समुदाय का दिमागी उपज और इतिहास के साथ छेड़छाड़ बताते हुए विरोध जता रहे हैं. इधर एसडीएम की चिट्ठी ने उनकी मांग को और बल दिया है.
आखिर क्यों एसडीओ ने बदले सुर
बता दें कि चुआड़ विद्रोह के नायक के रूप में अमर शहीद रघुनाथ महतो को राज्य के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन, मंत्री चम्पई सोरेन, केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा, राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री सह भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रघुवर दास, जमशेदपुर सांसद विद्युत वरण महतो सरीखे राजनेताओं ने अपने ट्विटर हैंडल से श्रद्धांजलि देकर कृतज्ञता जाहिर की इसके उलट शिकायतकर्ता के शब्दों को आधार मानकर एसडीओ ने चिट्ठी जारी कर शहीद रघुनाथ महतो के नाम के आगे फर्जी लगा दिया जिसके बाद एसडीओ की किरकिरी शुरू हो गई मामला बिगड़ता देख एसडीओ ने आनन- फानन में वीडियो क्लिप जारी कर सार्वजनिक रूप से माफी मांगी है. वैसे देखना यह दिलचस्प होगा कि कुड़मी समाज एसडीएम के इस चिट्ठी को किस अंदाज में लेता है. विदित हो कि मंगलवार को कुड़मी समाज के लोगों ने जमशेदपुर के ऐतिहासिक गोपाल मैदान में अमर शहीद रघुनाथ महतो की 285 वीं जयंती मनाई जिसमें झारखंड के अलावे पश्चिम बंगाल एवं उड़ीसा के कुड़मी समाज के लोगों का महाजुटान हुआ जहां से समाज के लोगों ने चुआड़ विद्रोह के नायक के रूप में रघुनाथ महतो को शहीद का दर्जा देने एवं संसद में शहीद रघुनाथ महतो की प्रतिमा लगाए जाने सहित कुड़मी को एसटी का दर्जा देने, कुरमाली भाषा को संविधान की आठवीं सूची में सूचीबद्ध करने की मांग रखी है. फिलहाल एसडीओ की चिट्ठी के बाद मचे घमासान के बाद एसडीओ द्वारा मांगे गए माफी के बाद कुड़मी समुदाय का अगला एक्शन क्या होता है, इस पर हमारी नजर बनी रहेगी.
Reporter for Industrial Area Adityapur