औरंगाबाद / Dinanath Mouar शुक्रवार को पटना में होने वाले महागठबंधन के महासम्मेलन को लेकर क्षेत्रीय पार्टियों की प्रतिक्रिया आनी शुरू हो गयी है .
इसे लेकर गुरुवार को औरंगाबाद में जन अधिकार पार्टी के बिहार प्रदेश प्रवक्ता संदीप सिंह समदर्शी ने बताया कि कल होने वाली बैठक को लेकर आज से ही पटना में कई पार्टियों के राष्ट्रीय अध्यक्षों का आना शुरू हो गया है. इसे लेकर उन्होंने महागठबंधन के घटक दलों को यह नसीहत दी है कि अगर भाजपा को गद्दी से हटाना है तो देश के हर प्रदेश की क्षेत्रीय पार्टियों को अपने साथ लेना होगा. अगर महागठबंधन में सम्मिलित पार्टियां इसको नजरअंदाज करके चलती हैं तो महागठबंधन को इसकी खामियाजा भुगतना पड़ेगा.
उन्होंने यह भी कहा कि बिहार समेत अन्य राज्यों में जो छोटे-छोटे दल हैं, वह भी अपना आधार रखते हैं और उनकी भी जनता के बीच पैठ है. उनकी इस गोलबंदी में कोई भूमिका नहीं होना कहीं ना कहीं भाजपा के खिलाफ मजबूत गठबंधन बनाने का जो संकल्प है,उसमें रुकावट आ सकती है.
उन्होंने ने यह भी कहा है कि सभी को पता है कि इस बार की लड़ाई बहुत ही नजदीकी होगी और चुनाव में हर वोट और हरेक पार्टी की कीमत होती है. इस बात को समझकर ही विपक्षी दलों को आगे बढ़ना होगा. भाजपा बिहार सहित देश भर में तिनके -तिनके को जोड़कर अपना कुनबा बढ़ा रही है, और उसी को माध्यम बनाकर मुकाबला करना चाहती है. इसलिए भाजपा के खिलाफ मजबूत गोलबंदी के लिए विपक्षी दलों को भी उन सुराखों को भरने के लिए छोटे-छोटे दलों की भूमिका को तय करके उनके सम्मान और उनकी पहचान के साथ समायोजित करने की रणनीति बनाकर देश की राजनीति में भाजपा को कमजोर करने का फैसला लेना होगा. इससे देश मे 2024 मे परिवर्तन की लड़ाई को मजबूती के साथ लड़ा जा सकता है, नही तो भाजपा के खिलाफ मजबूत गठबंधन बनाने का जो संकल्प है, उसमें रुकावट आ सकती है और जन अधिकार पार्टी (लोकतांत्रिक) कुमारी मायावती की बसपा और असबुद्दीन ओवैसी की एआईएमआईएम को तवज्जो नही देना नुकसानदेह साबित हो सकता है.
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