आदित्यपुर (Kunal Kumar) आरआईटी स्थित एनआईटी में प्रबंधन की मनमानी और सरकारी उपेक्षा से त्रस्त 108 संविदा कर्मयों के साथ संस्थान में अपनी सेवा दे रहे होमगार्डों ने भी प्रबंधन के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए पिछले 9 महीने से अनशन पर बैठे 42 अनुकंपा आश्रितों के समर्थन में आ गए और अब आर- पार की लड़ाई साथ लड़ने का एलान कर दिया है.
बुधवार अहले सुबह तीनों गुटों ने एक साथ प्रबंधन के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए जमकर हंगामा शुरू कर दिया. सूचना मिलते ही आरआईटी पुलिस मौके पर पहुंची और मामले को शांत कराने में जुटी रही, हालांकि समाचार लिखे जाने तक प्रदर्शनकारियों का आंदोलन जारी है. इस संबंध में प्रदर्शनकारियों ने बताया कि अनुकंपा आश्रित पिछले 9 महीने से अपने समायोजन की मांग को लेकर अनशन पर डटे हैं. जिसको लेकर प्रबंधन या सरकार ने किसी तरह की कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई. 2016 में संविदा कर्मियों को यह कह कर काम पर लिया गया था कि जब भी बहाली होगी उन्हें प्राथमिकता दी जाएगी मगर जब भी बहाली का वक्त आता है बाहर के लोगों को लाकर उन्हें नौकरी दी जाती है.
यही हाल सिक्योरिटी का भी है. यहां 150 जवान संस्थान की सुरक्षा में तैनात थे. बगैर कारण बताए 35 जवानों को हटा दिया गया, जबकि उपायुक्त एवं समादेष्टा को जानकारी देकर उन्हें विरमित करने का नियम है. होमगार्ड एसोसिएशन के प्रकाश पूर्ति ने बताया कि रजिस्टार निशिकांत राय और सिक्योरिटी इंचार्ज अनिल यादव मिलकर निदेशक गौतम सूत्रधार को गुमराह कर रहे हैं. उनकी बातों को निदेशक तक पहुंचने नहीं दे रहे. यही वजह है कि आज सभी प्रदर्शनकारियों का के सब्र का बांध टूट गया और एकजुट होकर लड़ाई लड़ने का संकल्प लिया है. उन्होंने बताया कि अब लड़ाई आर-पार की होगी.
बता दें कि पिछले दिनों भाजपा नेता रमन चौधरी ने केंद्रीय मानव संसाधन मंत्री धर्मेंद्र प्रधान से मुलाकात कर एनआईटी की समस्याओं की जानकारी दी थी. धर्मेंद्र प्रधान ने एक पत्र संस्थान के नाम जारी करते हुए अनशन पर बैठे अनुकंपा आश्रितों की मांगों पर सहानुभूति पूर्वक विचार करते हुए बहाली में उन्हें प्राथमिकता देने का निर्देश दिया था. इसको लेकर रमन चौधरी ने कई बार निदेशक से मुलाकात करने और उन्हें चिट्ठी देने का प्रयास किया, मगर निदेशक ने उन्हें मिलने का वक्त नहीं दिया. श्री चौधरी ने बताया कि कुछ दलाल प्रवृत्ति के कर्मियों एवं अधिकारियों ने संस्थान का बंटाधार करने का बीड़ा उठाया है. नए निदेशक उनके शिकंजे में आते ही फस गए. ऐसे में संस्थान की बेहतरी की कल्पना करना सही नहीं होगा. उन्होंने प्रदर्शनकारियों की मांग को जायज बताया और अपना नैतिक समर्थन दिया.
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Reporter for Industrial Area Adityapur