आदित्यपुर: ब्यूरो रिपोर्ट बचपन में एक किस्सा सभी ने पढ़ा है “शिकारी आएगा, दाना डालेगा, हमें फंसना नहीं है”… लोगों ने उस किस्सा को किस्सा समझकर भुला दिया. यही कारण है कि बार- बार ठगे जाने के बाद भी जनता अक्सर चुनावों में गलती कर बैठते हैं और पांच साल तक पछताते रह जाते हैं. चुनाव चाहे कोई हो प्रत्याशियों के लोक लुभावन वायदों से सचेत रहना होगा तभी आपके स्वस्थ्य लोकतंत्र की परिकल्पना कर सकते हैं.
झारखंड में अगले कुछ दिनों में शहरी निकाय चुनाव की रणभेरी बज सकती है. प्रशासनिक स्तर पर इसकी तैयारी लगभग पूरी हो चुकी है. हालांकि निकाय चुनाव को लेकर राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा जारी रोस्टर से कई मेयर, अध्यक्ष और पार्षदों के उम्मीदों पर पानी फिर गया है. अब वे प्लान बी पर काम कर रहे हैं.
यहां हम बात कर रहे हैं आदित्यपुर नगर निगम की. यहां चुनाव बड़ा ही दिलचस्प होने जा रहा है. रोस्टर जारी होने के बाद संभावित मेयर प्रत्याशी प्लान बी यानी डिप्टी मेयर के रेस में शामिल होने के लिए वार्डों का रुख कर रहे हैं. वर्तमान मेयर विनोद कुमार श्रीवास्तव वार्ड 29 से चुनाव लड़ने का संकेत दे चुके हैं. हालांकि लोग दबी जुबान से यह कहते सुने जा रहे हैं कि मेयर को पार्षद का चुनाव लड़ना शोभा नहीं देगा. मेयर की कुर्सी पर बैठने के बाद डिप्टी मेयर की कुर्सी पर क्या मुंह लेकर बैठेंगे. खैर राजनीति है परिस्थितियां एक जैसी नहीं रहती है. लोग तो यहां तक कहते सुने जा रहे हैं कि मेयर अपनी बहू के लिए अपना वार्ड यानी वार्ड 28 सुरक्षित रखते हुए वार्ड 29 में सेंधमारी करने की जुगत में हैं, ताकि दोनों वार्ड पर कब्जा जमा सकें.
वैसे अबतक हुए निकाय चुनावों में वार्ड 29 पर दिवंगत पार्षद राजमणि देवी का कब्जा रहा. उनके असामयिक निधन के बाद निर्वाचन आयोग ने यहां चुनाव नहीं कराया और तीन साल बिना पार्षद के यह वार्ड रहा. निगम के बोर्ड बैठक में इस वार्ड का जिम्मा मेयर ने खुद लेने पर सहमति बना ली और अंत तक चुनाव नहीं हुआ. अब मेयर यहां अपनी जमीन तलाश रहे हैं. वैसे सूचना यह भी है कि मेयर यहां से अपने बेटे को लड़ा सकते हैं, ताकि उसे डिप्टी मेयर बना सकें. हालांकि जबसे आदित्यपुर नगर निकाय अस्तित्व में आया है तब से मेयर विनोद कुमार श्रीवास्तव का परिवार का निगम के अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और मेयर पद पर कब्जा रहा है. पहली बार नगर परिषद के चुनाव में उनकी पत्नी रीता श्रीवास्तव अध्यक्ष बनीं, दूसरी बार वे उपाध्यक्ष बने, तीसरी बार वे मेयर बने. अपने वार्ड से पुत्रवधू को पार्षद बनाया. अब बेटे के लिए राजनीतिक जमीन तलाश कर रहे हैं. वार्ड 29 का मुकाबला दिलचस्प होना तय माना जा रहा है, क्योंकि तीन बार की पार्षद रहीं दिवंगत राजमणि देवी के परिवार के सदस्य भी उक्त वार्ड के लिए अपनी दावेदारी पेश कर रहे हैं. संभवतः दिवंगत पार्षद की पुत्रवधू या पुत्र इस वार्ड पर अपनी दावेदारी कर सकते हैं, हालांकि उनकी ओर से औपचारिक ऐलान नहीं किया गया है. मगर इसकी संभवना प्रबल है कि दिवंगत पार्षद के परिवार का सदस्य पूरे दमखम से मुकाबले की तैयारी में जुटे हैं.
वैसे कुछ राजनीतिक दलों के नेता यह भी चर्चा करते सुने गए कि वार्ड पार्षद के लिए प्रत्याशी को वार्ड का मतदाता होने की अनिवार्य राज्य निर्वाचन आयोग करना चाहिए ताकि चुनाव में हॉर्स ट्रेडिंग पर रोक लगे. इसके लिए कुछ लोग मंत्री चम्पई सोरेन से मिलकर उनका ध्यान इस ओर आकर्षित कराने की बात कही है. ताकि राज्य निर्वाचन आयोग तक इस बात को पहुंचाई जा सके. यदि ऐसा होता है तो वर्तमान मेयर और डिप्टी मेयर दोनों के लिए नगर निगम पहुंचने का रास्ता बंद हो जाएगा, क्योंकि दोनों के वार्ड महिला आरक्षित हैं. हालांकि इसकी संभावना कम है, क्योंकि वर्तमान रोस्टर प्रणाली के विरोध में कांग्रेसी नेताओं ने ही आयोग के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. कांग्रेसी नेता और पूर्व पार्षद रह चुके अंबुज कुमार ने आदित्यपुर नगर निगम के मेयर पद को महिला एसटी घोषित किए जाने पर कड़ी आपत्ति जताते हुए इसमें संशोधन की मांग की है. वैसे पिछले चुनाव में वे मेयर पद के प्रत्याशी रह चुके हैं और इस बार भी वे ताल ठोक रहे थे. रोस्टर का पेंच फंसने के बाद उन्हें भी झटका लगा है और अब वे इसका विरोध कर रहे हैं.
हालांकि रोस्टर के तहत सबसे बड़ा झटका नगर परिषद के पूर्व उपाध्यक्ष पुरेन्द्र नारायण सिंह को लगा है. इस बार उनकी मेयर पद को लेकर व्यापक तैयारी चल रही है. लोग उनके राजनीति के कायल हो चले थे. किसी पद पर न रहते हुए भी उन्होंने निगम के लोगों के बीच जबरदस्त पकड़ बनायी थी और हर वर्ग को साधने में सफल हुए थे. सीधे मुकाबले में वे किसी भी प्रत्याशी की तुलना में फेवरेट के रूप में देखे जा रहे थे, मगर रोस्टर की मार ने उन्हें भी प्लान बी पर काम करने को मजबूर कर दिया है. अब उनका ध्यान वार्ड पर केंद्रित हो गया है. हालांकि इसका उन्होंने अभी खुलासा नहीं किया है. उनके वार्ड की महिला पार्षद मालती देवी की छवि साफ- सुथरी रही है. वे जनता के बीच रहकर लोगों के सुख- दुःख बांटती रही है. यहां पुरेन्द्र की एंट्री मुकाबले को रोचक बना सकता है.
रोस्टर के चक्कर में वार्ड 18 भी फंस गया है. यह वार्ड महिला आरक्षित हो गया है. यहां से पिछले चुनाव में रंजन सिंह ने दो बार की पार्षद विनीता अविनाश को बुरी तरह से हराया था. अब यह वार्ड महिला आरक्षित होने से विनीता अविनाश फिर से यहां से किस्मत आजमा सकती हैं. वैसे चुनाव हारने के बाद विनीता अविनाश ने जनता से दूरी बना ली थी. ऐसे में जनता क्या निर्णय लेती है यह देखना दिलचस्प होगा. वैसे रंजन सिंह काम के आधार पर अपनी पत्नी को यदि चुनावी दंगल में उतारते हैं तो इसका उन्हें पूरा लाभ मिलेगा. फिलहाल उन्होंने अपने पत्ते नहीं खोले हैं.
वार्ड 17 का मुकाबला भी इस बार दिलचस्प होने जा रहा है. यहां की वर्तमान पार्षद नीतू शर्मा को हराने के लिए करीब छः पुरुष उम्मीदवार ताल ठोंक रहे हैं. जातीय समीकरण यहां के चुनाव को प्रभावित करता है, मगर वर्तमान पार्षद के कार्यकाल से कुछेक को छोड़ ज्यादातर लोग संतुष्ट नजर आए. वैसे जनता किसे अपना पार्षद चुनती है ये तो अब आनेवाला समय ही तय करेगा.
वार्ड 30 का मुकाबला भी इस बार रोचक होने का अनुमान है. इस वार्ड पर भी तीन बार से एक ही परिवार का कब्जा है. यहां से सुधीर चौधरी का परिवार लगातार चुनाव जीतता आया है, मगर इस बार यहां से भाजपा नेता सतीश शर्मा ने दावेदारी पेश कर खलबली मचा दी है. सतीश का अपना वोट बैंक है जो अबतक सुधीर चौधरी को समर्थन करता आया है, मगर इस बार परिस्थियां बदलने की संभावना है.
आगे और भी वार्डों के हलचल से हम आपको अवगत कराएंगे. बने रहें इंडिया न्यूज वायरल बिहार/ झारखंड के साथ. नगर निगम के चुनावी हलचल से आपको हम रू ब रु कराते रहेंगे और आपको रोचक और दिलचस्प आंकड़े देते रहेंगे.
Reporter for Industrial Area Adityapur