खरसावां: गुरूकुल के निदेशक गजेन्द्र नाथ चौहान ने एक प्रेस बयान जारी कर कहा कि झारखंड सरकार ने सहायक आचार्य पद पर नियुक्ति के लिए जो निविदा निकाली है उसमें 2013 और 2016 में शिक्षक पात्रता परीक्षा (जेटेट) में पास अभ्यर्थी शामिल हो सकेंगे. झारखंड शिक्षक पात्रता परीक्षा (जेटेट) का आयोजन सात वर्षो से नहीं हुआ है. सरकार ने हर साल जेटेट लेने का निर्णय लिया था. वर्तमान सरकार भी लगातार इसकी तैयारी की बात करती है, लेकिन परीक्षा का आयोजन नहीं हुआ है.
राज्य में पहली बार 2012- 13 में, जबकि दूसरी बार 2016 में इसका आयोजन किया गया था. वर्तमान नियुक्ति में 2016 में जेटेट करने वाले अभ्यर्थियों को मौका मिल रहा है. टेट नियमावली में हर साल टेट लेने की बात है, लेकिन सरकार ने सात वर्षो से जेटेट नहीं ली है और नियुक्ति प्रक्रिया शुरू कर रही है. ऐसे में उनका क्या दोष है. बिना जेटेट के आयोजन के ही उन्हें नियुक्ति प्रक्रिया से डिस्क्वालिफाइ कर दिया गया है.
उन्होने कहा कि सहायक आचार्य की नियुक्ति प्रक्रिया में सीटेट वालों को मौका नहीं दिया जा रहा है. सरकार ने जब जेटेट का आयोजन नहीं किया तो अभ्यर्थियों ने सीटेट क्वालिफाई किया. ऐसे में नियुक्ति प्रक्रिया में उन्हें मौका मिलना चाहिए. सीटेट की मान्यता जब पूरे देश में है. तो झारखंड की नियुक्ति प्रक्रिया से उन अभ्यर्थियों को क्यों वंचित किया जा रहा है. झारखंड में बीएड कॉलेजों की संख्या 135 है. हर साल 100 छात्र- छात्राओं का नामांकन होता है. ऐसे में इन कॉलेजों से करीब हर साल 13 हजार से अधिक छात्र- छात्राएं पास होकर निकलते हैं. पिछले छह साल में झारखंड से ही 75 हजार से ज्यादा छात्र- छात्राओं ने बीएड की डिग्री ली. इसके अलावा हर साल बड़ी संख्या में राज्य के बाहर भी अभ्यर्थी बीएड कोर्स की पढ़ाई के लिए जाते हैं. सरकार की नियुक्ति प्रक्रिया में एक बड़ी संख्या में विद्यार्थियों का भविष्य पर असर पड़ेगा.
Reporter for Industrial Area Adityapur