ईचागढ़: मंगलवार को खतियान आंदोलन से सुर्खियों में आए जयराम महतो ईचागढ़ पहुंचे. जहां पिलीद स्टेडियम में उनकी सभा निर्धारित थी. जहां जयराम को सुनने हजारों की संख्या में लोग जुटे थे. जहां भीड़ के उन्माद में जयराम के कथित अंगरक्षकों ने मीडियाकर्मियों के साथ न केवल बदसलूकी की बल्कि जयराम ने मंच से स्थानीय मीडियाकर्मियों को पत्रकारिता का अलग पाठ पढ़ाया. उन्होंने उनकी तरह धक्के खाकर पत्रकारिता करने की नसीहत पत्रकारों को दिया. हालांकि हुजूम के रुख और जयराम की बेरुखी देख स्थानीय मीडियाकर्मी बगैर समाचार संकलन किये वहां से चलते बने.
खतियान आंदोलन वाले जयराम की तुलना में अबके जयराम के आभामंडल में काफी बदलाव हो गया है, जो सही नहीं है. खुद के इर्दगिर्द जयराम ने जो सुरक्षा घेरा तैयार किया है वह आंदोलनकारी जयराम की नहीं हो सकती. उनके हाव भाव बदले- बदले नजर आने लगे हैं. शुरुआती दिनों में मामूली छात्र नेता के रूप में साधारण चंदे की गाड़ी से शुरू हुआ आंदोलन धीरे- धीरे हाईटेक रूप ले चुका है. महंगी गाड़ियां और हाईटेक सुरक्षा घेरा देख ऐसा लगने लगा है कि जयराम प्रायोजित आंदोलनकारी है, जिसके राजनीतिक महत्वाकांक्षा अब साफ झलक ने लगे हैं. खतियान आंदोलन के जरिए जयराम अब राजनीतिक पारी खेलने की तैयारी में जुट गए हैं. उसके लिए अपनी जमीन तलाश रहे हैं. जयराम को यह समझने की जरूरत है, कि राजनीति के बिसात पर उन्हें अभी और कड़े इम्तिहान देने होंगे. खतियानी आंदोलन के ठीक बाद झारखंड में हुए पंचायत चुनाव में जयराम के आंदोलन से उपजे नेताओं की क्या हश्र हुई उन्हें इसका ध्यान रखते हुए आगे बढ़ने की जरूरत है. निश्चित तौर पर खतियानी आंदोलन में जयराम किसी खास समुदाय के लिए नायक बनकर उभरे हैं, मगर झारखंड की धरती नायकों से भरी पड़ी है. आप अच्छे वक्ता हो सकते हैं, मगर यदि आपका व्यवहार सही ना हो तो आप अच्छे नायक नहीं बन सकते. हालांकि बाद में जयराम महतो को गलती का अहसास हुआ और उन्होंने मंच से मीडियाकर्मियों के साथ हुए बर्ताव पर माफी मांगी.
Reporter for Industrial Area Adityapur