औरंगाबाद (Dinanath Mauar) दाह संस्कार के मामले में पुरुषों के परंपरागत अधिकार को औरंगाबाद की छात्र नेत्री आशिका ने चुनौती दी है. आशिका ने न केवल अपने नाना की अर्थी को कंधा दिया बल्कि उन्हें मुखाग्नि भी दी और दाह संस्कार भी कराया.
गौरतलब है कि आशिका के नाना अम्बा प्रखंड के के डुमरा निवासी रामविलास सिंह लंबे समय से बीमार चल रहे थे. उनकी नातिन अभाविप की प्रदेश मंत्री सह शहर के सच्चिदानंद सिन्हा कॉलेज छात्र संघ की अध्यक्ष आशिका सिंह ने लगभग एक वर्ष से उनका अम्बा, औरंगाबाद और पटना के रूबन हॉस्पिटल, पटना आईजीएमएस, पीएमसीएच जैसे अस्पताल में इलाज कराया. दो माह पूर्व पटना के एक अस्पताल में आइसीयू में रखने के बाद डॉक्टर ने कह दिया कि हार्ट ब्लॉक हो गया है. अब उम्मीद कम है, बस एक दो दिन से ज़्यादा जीने की उम्मीद नही है. फिर भी कहते हैं न कि जब दवा और डॉक्टर काम न आए तो फिर सेवा और भगवान से की गई प्रार्थना और पूजा पर ही एकमात्र भरोसा रह जाता है.
इसी प्रकार आशिका ने नाना की एक साल से ज़्यादा समय तक सेवा की. उनके जीने का सहारा बनी. बिस्तर पर ही पड़े रहने पर नाना को ख़ाना खिलाना और रोज़ स्नान कराना कर मौत से बचाने का प्रयास आशिका ने किया पर जो नियति को मंज़ूर होता है, उसे कोई रोक नही सकता और 18 नवम्बर को अचानक थोड़ी परेशानी हुई. फिर डॉक्टर की सलाह से दवा दी गयी. फिर स्थिति कुछ नार्मल हुई और वें रात में सोए और अचानक 19 नवम्बर के दिन उनकी मृत्यु हो गई. आशिका के नाना रामविलास सिंह गांव के ज़मींदार थे. उन्होंने कईं ऐसे गरीब परिवारों को दान में जमीन दी थी जिन पर लोग आज घर बनाकर और फसल उगाकर सम्पन्न जिंदगी जी रहे है. गरीब बेटियों की शादी में पैसे देकर मदद करना हो, चाहे जरूरतमंदों का इलाज या पैसे कपड़े दान करना हो, यह सब उनके स्वभाव में था. इन सबसे प्रेरणा लेकर अशिका ने भी समाजसेवा कर अपनी एक अलग पहचान बनायी है.
उनका सपना था कि अपने हाथों से नातिन का कन्यादान करें परंतु अशिका को उल्टे उन्हें मुखाग्नि देनी पड़ी. हालांकि हिंदू मान्यता के अनुसार शवयात्रा में शामिल होने, अर्थी को कंधा देने देने और मुखाग्नि देने जैसे कर्मकांड पुरुष ही करते हैं. महिलाओं की भूमिका घर तक ही सीमित है परंतु अशिका ने अर्थी को कंधा भी दिया और वाराणसी के शमशान घाट पर उन्हें मुखाग्नि भी दी और वह पूरा कर्म कांड करते हुए नातिन होने का फर्ज निभा रही है. आशिका का पालन पोषण भी नाना और नानी ने ही किया था. नाना- नानी के कोई पुत्र नही थे, सिर्फ बेटी ही थी.
Reporter for Industrial Area Adityapur